विश्व समन्वय संघ ,

 भारतीय आदिम जाति सेवा संघ, 

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था‌-  "जब-जब नि:स्वार्थ सेवकों  की याद आएगी,  ठक्कर बाप्पा की मूर्ती आंखों के सामने आकर खड़ी हो जायेगी।" 

जब तक हम हर घर में  उज्ज्वल प्रकाश नहीं पहुंचा देते, तब तक हम रुकेंगे नहीं...