समन्वय के साधक, संस्कृति के परिव्राजक, महान साहित्यकार श्रदेय आचार्य काकासाहेब कालेलकर की 40 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संकल्प पत्र।
श्रद्धेय आचार्य काकासाहेब कालेलकर जी पूरे विश्व में प्रेम, शांति, सौहार्द, भाईचारे की भावना का दीप लिए हुए विश्व में समन्वय की भावना को प्रचार प्रसार के साथ देश में राष्ट्रीय एकता की भावना का प्रसार करने और पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए जीवन भर सक्रिय रहे अपने विचारों को कार्यरूप देने के उद्देश्य से उन्होंने विश्व समन्वय संघ की स्थापना की थी।
आज वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (COVID-19) ने सभी को अपने अपने घरों तक ही सीमित कर दिया , शहरों में तो बच्चों की शिक्षा वर्चुअल क्लासेज (ऑनलाइन) माध्यमो से साकार हो रही है।अभी सिर्फ यही विकल्प बचा है। ग्रामीण, आदिवासियों और जनजातियों क्षेत्रों यह विकल्प भी मौजूद नहीं है। भविष्य में समाज समानता की ओर बढ़े इसी उद्देश्य हेतु विश्व समन्वय संघ ग्रामीण, आदिवासियों और जनजातियों क्षेत्रों में कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्रों को खोलने के लिए प्रयासरत है।
ग्रामीण, आदिवासियों और जनजातियों क्षेत्रों में पिछड़े वर्ग के युवा और बच्चों की शिक्षा हेतु सहयोगी संस्थाओं के साथ कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्रों को स्थापित करना।
व्यक्ति, समाज व राष्ट्र निर्माण, समन्वय का सबसे मजबूत आधार शिक्षा ही है। शिक्षा किसी राष्ट्र के सामाजिक और आर्थिक. परिवर्तन के लिए सरल उपाय है। बच्चे ही भविष्य में देश की सर्वोच्च संपत्ति होते है, बच्चों को बुनियादी मजबूती मिले।जिससे बच्चों, युवाओं, बालिकाओं को तकनीकी शिक्षा मिलें, पिछड़े वर्ग के युवा और बच्चें भी समाज की मुख्य धारा में मिल सकें ।
(राजकुमार, सचिव, विश्व समन्वय संघ)